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किडनी सफाई की आसान प्रक्रिया : अपनी किडनी को डिटॉक्स करें / पथरी को निकालने की विधि 


किडनी और लिवर शरीर के प्रमुख ख़ून साफ़ करने के अंग हैं, जो रक्त को शुद्ध करने के लिए निरंतर कार्य करते हैं। किडनी प्रतिदिन लगभग 150 लीटर रक्त को छानती हैं, और विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को हटाकर यूरिन बनाती हैं। साफ़ रक्त हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि अशुद्ध या विषैला रक्त सभी अंगों में फैल सकता है, जिससे विभिन्न बीमारियां हो सकती हैं। किडनी की सफाई किडनी के कार्य को बेहतर बनाती है, रक्त शुद्धि में सुधार होता है, और गुर्दे की पथरी को बनने से रोकने या निकालने में मदद मिलती है।


विषाक्त पदार्थ एवम कैल्शियम का जमाव किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकता है और दर्द का कारण भी बन सकता है। यह लेख प्राकृतिक किडनी सफाई विधियों के बारे में महत्त्वपूर्ण जानकरी देता है, जिसमें छोटी पथरियों ( 6 एमएम या उससे छोटी) के लिए एक शक्तिशाली तीन-दिवसीय प्रोटोकॉल भी शामिल है। किडनी क्लीनज खून को साफ़ करने का एक अदभुद तरीका है जिसे कोई भी अपना सकता है।


खराब भोजन का प्रभाव
 प्रोसेस्ड और पैकेज्ड खाद्य पदार्थ गुर्दों की उचित कार्यप्रणाली को प्रभावित करते हैं, जिससे किडनी के बारीक छिद्रों से विषाक्त पदार्थ ठीक से नहीं निकाल पाते और वहाँ जम जाते हैं। शरीर इनको प्राकृतिक रूप से बाहर नहीं निकाल पाता और ये गुर्दों में जमा हो जाते हैं और धीरे धीरे जुड कर पथरी बन जाते हैं ।

किडनी की रक्त शुद्धिकरण में भूमिका
किडनी अपशिष्ट उत्पादों जैसे यूरिया, क्रिएटिनिन और अतिरिक्त खनिजों को छानती हैं, साथ ही तरल पदार्थों और इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखती हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि अंगों को स्वच्छ, ऑक्सीजन युक्त रक्त मिले ताकि वे इष्टतम रूप से कार्य कर सकें। विशिष्ट खाद्य पदार्थों, जड़ी-बूटियों या प्रोटोकॉल के माध्यम से किडनी सफाई, किडनी की प्राकृतिक डिटॉक्स प्रक्रिया को समर्थन देती है, मूत्र प्रवाह को बढ़ावा देती है और किडनी की पथरी के जोखिम को कम कर सकती है, जिससे समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।

पथरी बनने के कारण
अम्लीय खाद्य पदार्थ और अत्यधिक प्रसंस्कृत व पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से युक्त खराब आहार पथरी बनने का कारण बनता है। डेयरी और पशु-आधारित खाद्य पदार्थ अम्लीय प्रकृति के होते हैं और पथरी बनने में योगदान देते हैं। सस्ते कैल्शियम सप्लीमेंट्स भी पथरी बनने के लिए जिम्मेदार होते हैं। कुछ दवाएं भी किडनी की पथरी बनने का कारण बन सकती हैं।


जब खराब आहार या डिहाइड्रेशन के कारण किडनी पर अत्यधिक बोझ पड़ता है, तो उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है,  जिसके परिणामस्वरूप थकान, तरल पदार्थों का जमाव, या किडनी की पथरी जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। समय के साथ, ये विषाक्त पदार्थ छोटी-छोटी पथरियों का रूप ले लेते हैं, जिन्हें शरीर के लिए हटाना बहुत मुश्किल होता है।


रक्त  का pH 
अधिकांश पथरियां कैल्शियम ऑक्सलेट की पथरियां होती हैं या इनमें कैल्शियम एक घटक के रूप में होता है। रक्त का पीएच थोड़ा क्षारीय (7.4) होता है। जब आप ज़्यादा अम्लीय खाद्य पदार्थ खाते हैं, तो यह रक्त के पीएच को क्षारीय से अम्लीय करने की कोशिश करता है, जो शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। रक्त को अम्लीय होने से बचाने के लिए, यह हड्डियों से क्षारीय खनिजों (जैसे कैल्शियम, मैग्नीशियम इत्यादि ) को रक्त में खींच लेता है। हड्डियों का इस तरह चूरा भी ख़ून में आ जाता है। किडनी इन अतिरिक्त खनिजों को रक्त से हटाने की कोशिश करती हैं, जिसके परिणामस्वरूप अंततः किडनी की पथरी बनती है।
किडनी की सफाई इन पथरियों को घोलती/तोड़ती है, और छिद्रों को साफ़ करती, है ताकि वे आसानी से शरीर से बाहर निकल सकें। किडनी सफाई का उपयोग किडनी को अंदर से साफ करने के लिए भी किया जाता है, जिससे गहराई से जमा विषाक्त अपशिष्ट हटाए जाते हैं।

किडनी सफाई
यदि लीवर में पित्त की पथरी या किसी अन्य स्थिति के कारण किडनी या मूत्राशय में रेत, चिकनाई या पथरी विकसित हो गई है, तो आपको अपनी किडनी को साफ करना चाहिए। किडनी अत्यंत नाजुक, रक्त-छानने वाला अंग हैं जो पानी की कमी, खराब आहार, कमजोर पाचन, तनाव और अनियमित जीवनशैली के कारण आसानी से अवरुद्ध हो जाती हैं।


किडनी में अवरोध का मुख्य कारण किडनी की पथरी है। हालांकि, अधिकांश किडनी की चिकनाई/क्रिस्टल/पथरी इतनी छोटी होती हैं कि आधुनिक तकनीकों, जैसे अल्ट्रासाउंड या एक्स-रे, से उनका पता नहीं चलता। इन्हें अक्सर “मूक” पथरी कहा जाता है और ये लोगों को ज्यादा परेशान नहीं करतीं। लेकिन जब ये जुड़ कर बड़ी हो जाती हैं, तो ये किडनी और शरीर के बाकी हिस्सों को काफी नुकसान और परेशानी पहुंचा सकती हैं। किडनी की समस्याओं और किडनी से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए, इन पथरियों को संकट पैदा करने से पहले हटा देना सबसे अच्छा है।


मौखिक पहचान:
आप अपनी आंखों के नीचे की त्वचा को गालों की ओर खींचकर किडनी में रेत या पथरी की मौजूदगी का आसानी से पता लगा सकते हैं। कोई भी अनियमित उभार, बदलाव, लाल या सफेद फुंसी, या त्वचा का रंग बदलना किडनी में रेत या पथरी की मौजूदगी को दर्शाता है।

किडनी सफाई के विभिन्न तरीके और सामग्री
नीचे प्राकृतिक उपचार दिए गए हैं, जिनमें छोटी पथरियों को हटाने के लिए एक लक्षित तीन-दिवसीय प्रोटोकॉल शामिल है, जो किडनी स्वास्थ्य और रक्त शुद्धिकरण में सहायता करता है। इसके अलावा 3 अलग-अलग सामग्रियों का उपयोग करने की जानकारी भी दी गई है। आप इनमें से किसी एक को चुनकर किडनी साफ़ करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। एक बार में सुविधा अनुसार कोई भी एक उपचार का प्रयोग करें। आप बारी बारी से इन सबको भी कर सकते हैं, या फिर नीचे बताए गए एक विशेष तरीक़े से सबको एक साथ प्रयोग में ला सकते हैं।


प्राकृतिक गुर्दा साफ़ करने के 4 विकल्प इस प्रकार हैं :


1. तीन-दिवसीय जैतून का तेल और नींबू का रस प्रोटोकॉल - ऑलिव ऑइल + नींबू का रस
60 मि.ली. ( 4 बड़े चम्मच)  एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल + 60 मि.ली. ताज़ा नींबू का रस
दोनों को मिलाकर, तीन दिन तक दिन में तीन बार पीना पीना है।
यह लोकप्रिय प्राकृतिक उपचार छोटी किडनी पथरियों (आमतौर पर 5-6 मिमी से कम) को निकालने और किडनी डिटॉक्स करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जैतून का तेल मूत्र मार्ग को चिकनाई देता है और नींबू का रस पथरी को तोड़ने/ गलाने में मदद करता है।


तैयारी और पालन करने का तरीका:
मिश्रण: 60 ml  (4 बड़े चम्मच) कोल्ड प्रेस्ड एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल को 60 ml  ताजा निचोड़े गए नींबू के रस के साथ मिलाएं।
खुराक: मिश्रण को लगातार तीन दिनों तक दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम/रात) पिएं। भोजन से पहले और बाद में दो घंटे का अंतर रखें।

हाइड्रेशन: मूत्र प्रवाह और पथरी निकालने को बढ़ावा देने के लिए रोजाना कम से कम 2-3 लीटर पानी पिएं।

आहार: हल्का भोजन, किडनी के लिए अनुकूल आहार (जैसे तरबूज, फल, सब्जियां, साबुत अनाज) और सलाद खाएं। सामान्य घर का बना शाकाहारी भोजन खा सकते हैं। मांसाहारी भोजन, डेयरी, दूध उत्पाद, तला हुआ, पैकेज्ड और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से बचें। हर्बल चाय पी सकते हैं।

यह कैसे काम करता है:
जैतून के तेल से चिकनाई: जैतून का तेल मूत्र मार्ग में चिकनाई करता है, जिससे छोटी किडनी पथरियों को मूत्रवाहिनी से मूत्राशय तक और शरीर से बाहर निकलने में आसानी होती है। इसका चिकनेपन के कारण पथरियां फिसलकर निकल जाती हैं और कोई असुविधा नहीं होती।

नींबू के रस की अम्लीय विशेषताएं: नींबू का रस साइट्रिक एसिड से भरपूर होता है, जो मूत्र में साइट्रेट के स्तर को बढ़ाता है। साइट्रेट मूत्र में कैल्शियम से बंधता है, जिससे कैल्शियम-आधारित किडनी पथरियों (जैसे कैल्शियम ऑक्सलेट पथरी) का निर्माण कम होता है। साइट्रिक एसिड छोटी पथरियों को तोड़ने या नई पथरियों को बनने से रोकने में भी मदद कर सकता है।

मूत्रवर्धक प्रभाव और हाइड्रेशन: पानी बढ़ाने से यूरिन फ्लो बढ़ता है, जिससे विषाक्त पदार्थ, खनिज जमाव और छोटी पथरियों को बाहर निकालने में मदद करता है। पर्याप्त हाइड्रेशन पथरी निर्माण को रोकने और किडनी कार्य को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण है।

सूजन-रोधी गुण: जैतून के तेल में एंटीऑक्सिडेंट और सूजन-रोधी यौगिक (जैसे ओलियोकैंथल) होते हैं जो मूत्र मार्ग में सूजन को कम कर सकते हैं, जिससे किडनी पथरियों से जुड़ी असुविधा कम हो सकती है।


2.  ताजा पार्सले का काढ़ा 
250 ग्राम ताज़ी पार्सले पत्तियां (हरी धनिया जैसी दिखने वाली पत्तेदार सब्जी ) का काढ़ा 
2 दिनों में लगभग 2 लीटर काढ़ा पीना है 
पार्सले एक शक्तिशाली मूत्रवर्धक जड़ी-बूटी है जो एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती है, जो मूत्र उत्पादन को बढ़ाती है और सूजन को कम करती है। यह धनिये की तरह दिखता है पर उससे अलग है।
तैयारी का तरीका:
आवश्यक सामग्री: 250 ग्राम पार्सले की पत्तियां (बिना जड़ों के)
प्रक्रिया: 250 ग्राम ताजा पार्सले की पत्तियों को लगभग 700 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस पानी को ऊपर से छान लें और बचे हुए पत्तों में फिर से 700 मिली पानी डालकर उबालें। इसे छानें, पानी को निकाल लें और तीसरी बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। काढ़ा छानकर ठंडा होने दें।
खुराक: आपको लगभग 2 लीटर पार्सले चाय का काढ़ा (8 गिलास) मिलेगा, जिसे दो दिन में पीना है। ढेर सारा पानी पिएं। इसे भोजन से पहले और बाद में दो घंटे के अंतर पर पीना सबसे प्रभावी है।


3.  ताज़ा / सूखे भुट्ठे के बॉल का काढ़ा 
250 ग्राम ताज़ा या 50  ग्राम सूरज में सुखाए गए भुट्ठे के बॉल का काढ़ा 
डेढ़ दिन में 2 लीटर काढ़ा 
आदर्श रूप से, मकई के रेशों को धूप में सुखाया जाना चाहिए। यदि इसे ठीक से सुखाया गया हो, तो इसे लंबे समय तक संरक्षित किया जा सकता है। सूखे मकई के रेशों को उपयोग से पहले धोना सख्त मना है क्योंकि इससे इसका औषधीय मूल्य काफी हद तक खो जाता है। इसके अलावा, इसमें मौजूद धूल और अशुद्धियों को अवसादन प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है, जिसमें उपयोग से पहले मकई के रेशों को छान लिया जाता है।

मकई के रेशे, मकई के भुट्टों से निकलने वाले बारीक धागे, मूत्र मार्ग और किडनी स्वास्थ्य के लिए एक पारंपरिक उपचार हैं।
तैयारी का तरीका:
आवश्यक सामग्री: 50 ग्राम सूखे मकई के रेशे या 250 ग्राम ताजे मकई के रेशे
प्रक्रिया: 50 ग्राम/250 ग्राम मकई के रेशों को लगभग 700 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस पानी को ऊपर से छान लें और बचे हुए रेशों में फिर से 700 मिली पानी डालकर उबालें। इसे छानें, पानी को निकाल लें और तीसरी बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। काढ़ा छानकर ठंडा होने दें।
खुराक: आपको लगभग 2 लीटर मकई के रेशों की चाय (8 गिलास) मिलेगी, जिसे दो दिन में पीना है। ढेर सारा पानी पिएं। इसे भोजन से पहले और बाद में दो घंटे के अंतर पर पीना सबसे प्रभावी है।
लाभ:
मकई के रेशों के मूत्रवर्धक गुण मूत्र प्रवाह को बढ़ाते हैं, मूत्र मार्ग की जलन को कम करते हैं और किडनी पथरी के गठन को रोकने में मदद करते हैं।


तरबूज के बीज की चाय
200 ग्राम तरबूज के बीज का काढ़ा 
2 दिनों में लगभग 2–2.5 लीटर चाय
बीज काले या भूरे रंग के हो सकते हैं। इन्हें सुखाकर संरक्षित किया जा सकता है। कुछ कृषि उत्पाद बेचने वाली दुकानें भी तरबूज के बीज रखती हैं। चूंकि इनमें कीटनाशक अवशेष हो सकते हैं, इसलिए इन्हें उपयोग से पहले धोकर सुखाना जरूरी है। उबालने से पहले इन्हें पीस लें, ताकि छिलके और अंदर का औषधीय पदार्थ पानी में मिल जाए। बीजों को पीसने या धोने के बाद न धोएं। तरबूज के बीज खनिजों से भरपूर होते हैं और हल्के मूत्रवर्धक के रूप में किडनी कार्य को समर्थन देते हैं।
तैयारी का तरीका:
आवश्यक सामग्री: 200 ग्राम कीटनाशक मुक्त जैविक तरबूज के बीज
प्रक्रिया: 200 ग्राम तरबूज के बीजों को पीस लें। इन पिसे हुए बीजों को लगभग 700 मिली पानी में 5 मिनट तक उबालें। इस पानी को डिकैंटेशन द्वारा छान लें और बचे हुए बीजों में फिर से 700 मिली पानी डालकर उबालें। इसे छानें और तीसरी बार इस प्रक्रिया को दोहराएं। छानकर ठंडा होने दें।
खुराक: आपकी तरबूज के बीज की चाय तैयार है। रोजाना कुछ गिलास पिएं। इसे भोजन से पहले और बाद में दो घंटे के अंतर पर पीना सबसे प्रभावी है। ढेर सारा पानी पिएं।
लाभ:
यह चाय मूत्र प्रवाह को बेहतर बनाती है, डिटॉक्स को समर्थन देती है और छोटी किडनी पथरियों को तोड़ने में मदद कर सकती है।


उन्नत पाँच-दिवसीय प्किडनी सफाई प्रोटोकॉल - विभिन्न किडनी सफाई विधियों का एकीकरण (पांच दिन)
अधिकतम लाभ  के लिए, यह प्रोटोकॉल सभी किडनी सफाई उपचारों को एक साथ इस्तेमाल करके किडनी की  सफाई लाभदायक माना गया है:
दिन 1-3: जैतून का तेल और नींबू का रस प्रोटोकॉल (दिन में तीन बार) का पालन करें। मूत्रवर्धक प्रभाव को बढ़ाने और किडनी को फ्लश करने के लिए जैतून का तेल-नींबू के रस की खुराक के बीच पार्सले चाय पिएं।
दिन 4-5: किडनी स्वास्थ्य को बनाए रखने और मूत्र मार्ग को शांत करने के लिए चौथे और पांचवें दिन मकई के रेशों की चाय या तरबूज के बीज की चाय पिएं।
निरंतर: पथरी की पुनरावृत्ति को रोकने और रक्त शुद्धिकरण को समर्थन देने के लिए रोजाना 2-3 लीटर पानी पिएं और किडनी के लिए अनुकूल आहार का पालन करें।


निष्कर्ष
तीन-दिवसीय जैतून का तेल और नींबू का रस प्रोटोकॉल एक प्राकृतिक उपचार है जो छोटी किडनी पथरियों को निकालने और व्यापक सफाई के हिस्से के रूप में किडनी स्वास्थ्य को समर्थन देने में सहायता कर सकता है। पर्याप्त हाइड्रेशन और अजमोद, मकई के रेशे, या तरबूज के बीज की चाय जैसे पूरक उपचारों के साथ संयुक्त, यह प्रोटोकॉल किडनी की रक्त छानने की क्षमता को बढ़ाता है, डिटॉक्स को समर्थन देता है, पथरी निकालने को बढ़ावा देता है, विषाक्त पदार्थों के जमाव को कम करता है, किडनी कार्य को बढ़ाता है और समग्र स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। इन महत्वपूर्ण अंगों का पोषण करके, आप किडनी पथरियों के जोखिम को कम करते हैं और स्वच्छ रक्त सुनिश्चित करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.  पार्सले, मकई के रेशे, या तरबूज के बीज से बनी किडनी चाय का रंग कैसा होगा?
गहरा भूरा, हल्का भूरा, या भूरा-हरा।

2.  सफाई के लिए सबसे अच्छी सामग्री कौन सी है?
कुछ लोगों को मकई के रेशों से बेहतर परिणाम मिलते हैं, जबकि अन्य को पार्सले या तरबूज के बीजों से। मैंने व्यक्तिगत रूप से मकई के रेशों के काढ़े को अपने लिए सबसे अच्छा पाया है। जैतून का तेल और नींबू का रस छोटी पथरियों के लिए बहुत प्रभावी है। कुछ लोगों ने बताया है कि पार्सले चाय पीने के बाद उनके पैरों की सूजन/पानी का जमाव कम हुआ। कुछ ने बिना छिलके वाले तरबूज के बीजों के साथ भी अच्छे परिणाम बताए हैं, जो अधिकांश किराने की दुकानों में उपलब्ध हैं। हालांकि, चारों सामग्रियों में से किसी का उपयोग करके सभी को कुछ न कुछ परिणाम मिलते हैं।

3.  क्या पार्सले और धनिया एक ही हैं?
नहीं। पार्सले और धनिया दो अलग-अलग तरह के पत्ते हैं।

4.  काढ़ा  बनाने की प्रक्रिया को सरल तरीके से समझाएं।
काढ़ा बनाने के लिए, बर्तन में इतना पानी डालें कि सामग्री ढक जाए और अपनी पसंद की किसी एक सामग्री (पार्सले, मकई के रेशे, या तरबूज के बीज) को 5 मिनट तक उबालें। पानी को छानकर अलग रखें। बची हुई सामग्री को फिर से ताजा पानी के साथ 5 मिनट तक उबालें। इसे छानकर पहले वाले पानी में मिलाएं। इस प्रक्रिया को एक बार और दोहराएं। भूरा रंग यह दर्शाता है कि सामग्री में अब कोई औषधीय गुण नहीं बचा है।
छाने हुए मिश्रण को कुछ मिनट तक स्थिर रहने दें ताकि अवसाद नीचे बैठ जाए। सावधानी से, बिना हिलाए, मिश्रण के ऊपरी हिस्से को दूसरे बर्तन में डालें, जब तक कि नीचे का अवसाद बहने न लगे। अवसाद को फेंक दें। इस प्रक्रिया को डिकैंटेशन कहते हैं। मिश्रण को ठंडा करें। अब दवा उपयोग के लिए तैयार है।

5.  मुझे रोजाना कितनी किडनी सफाई चाय पीनी चाहिए?
परिणामों का अवलोकन करें और बाद के उपयोग के लिए खुराक बढ़ाने या घटाने का निर्णय लें। आप अपने लिए सबसे उपयुक्त मात्रा और पीने का समय तय कर सकते हैं, हालांकि उच्चतम खुराक और आवृत्ति (जो आप सहन कर सकते हैं) की सिफारिश की जाती है। काढ़े की दवा को बड़ी मात्रा में लेने से तेज और बेहतर परिणाम मिलते हैं क्योंकि दवा प्रभावित अंग तक गहराई से पहुंचती है। यदि फुलावट या पेट दर्द जैसे कोई अवांछित लक्षण हों, तो खुराक कम करें।
इस मिश्रण का एक गिलास (250 मिली) दिन में 3-4 बार या अधिक पिएं। गर्मियों में इसे खराब होने से बचाने के लिए फ्रिज में रखें। इसे अधिकतम दो दिनों तक फ्रिज में रखा जा सकता है। यदि फ्रिज में रखा जाए, तो यह थोड़ा गाढ़ा हो सकता है, लेकिन इसके औषधीय गुण प्रभावित नहीं होते। यदि आप ठंडा तरल नहीं पी सकते, तो इसे अपनी पसंद के अनुसार गर्म कर सकते हैं। गर्म करने से इसके औषधीय गुण प्रभावित नहीं होते।सर्दी के दिनों में इसे फ्रिज में रखने की ज़रूरत नहीं है।

6.  मुझे क्या परिणाम अपेक्षित होने चाहिए?
जब शरीर में विषाक्त पदार्थ जमा हो जाते हैं और किडनी उन्हें छान नहीं पाती, तो वे रक्त प्रवाह में फैल जाते हैं। इन विषाक्त पदार्थों के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए, शरीर उन्हें पतला रखने की कोशिश करता है, जिससे अधिक पानी जमा होता है। रक्त प्रवाह में पानी की मात्रा बढ़ने से एडिमा नामक स्थिति होती है, जिसके परिणामस्वरूप शरीर का वजन बढ़ता है और चेहरा व टखने सूज जाते हैं। किडनी सफाई के दौरान, रक्त प्रवाह में जमा अतिरिक्त पानी भी निकल जाता है। सफाई के परिणामस्वरूप मूत्रत्याग में वृद्धि की अपेक्षा करें।
उपचार के दौरान, लगभग 1% रोगियों को फुलावट  और लगभग 3% को हल्का पेट दर्द महसूस होता है। हालांकि, ये स्थितियां गंभीर नहीं होतीं और सफाई प्रक्रिया के दौरान नेफ्रॉन्स की अतिसक्रियता के कारण होती हैं। दर्द 1-2 घंटे में अपने आप कम हो जाता है और इसके लिए किसी उपचार की आवश्यकता नहीं होती।

7.  किडनी सफाई स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाती है
किडनी सफाई कई लाभ प्रदान करती है:
बढ़ी हुई रक्त निस्पंदन: मूत्र उत्पादन में वृद्धि किडनी को विषाक्त पदार्थों को कुशलतापूर्वक हटाने में मदद करती है, जिससे महत्वपूर्ण अंगों तक स्वच्छ रक्त पहुंचता है।
किडनी पथरी प्रबंधन: मूत्रवर्धक प्रभाव और साइट्रिक एसिड छोटी पथरियों को बाहर निकालने या घोलने में मदद करते हैं और नई पथरियों को रोकते हैं, जिससे असुविधा और जोखिम कम होते हैं।
सूजन में कमी: इन उपचारों में एंटीऑक्सिडेंट और सूजन-रोधी गुण मूत्र मार्ग और किडनी को शांत कर सकते हैं।
समग्र स्वास्थ्य में सुधार: स्वच्छ रक्त अंगों पर बोझ को कम करता है, जिससे थकान, त्वचा की समस्याएं, या विषाक्त पदार्थों के जमाव से जुड़ी पाचन समस्याओं जैसे लक्षणों में राहत मिल सकती है।

जमा कणों और किडनी पथरियों का हटना
चमकता हुआ चेहरा
बेहतर त्वचा का रंग
आंखों के नीचे काले घेरे में कमी
उच्च ऊर्जा स्तर
बेहतर हीमोग्लोबिन स्तर
बेहतर नींद की गुणवत्ता
नियंत्रित रक्तचाप (थोड़ा उच्च या निम्न रक्तचाप बिना दवा के नियंत्रित होता है)
पीठ दर्द और शरीर के दर्द से राहत
प्री-मासिक धर्म लक्षणों (PMS) और स्त्री रोग संबंधी समस्याओं में सुधार
प्रोस्टेट राहत


8.  क्या मैं सभी सामग्रियों, यानी मकई के रेशे, पार्सले और तरबूज के बीजों का एक साथ उपयोग कर सकता हूं?
इन्हें एक समय में केवल एक ही लेना है। इनमें से कोई भी एक समय में उपचार के लिए पर्याप्त है। आप कुछ दिनों बाद दूसरा विकल्प आजमा सकते हैं। अगर आप सबको इकट्ठा इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आप ऊपर दी हुई उन्नत पाँच-दिवसीय किडनी सफाई प्रोटोकॉल को अपना सकते हैं, भरपूर लाभ होगा।

9.  मैं बाजार में पर्याप्त मात्रा में मकई के रेशे नहीं ढूंढ पा रहा हूं क्योंकि यह ऑफ-सीजन है। मेरे संग्रहीत मकई के रेशों में फंगस लग गया है। क्या मैं फिर भी इस दूषित मकई के रेशों का उपयोग कर सकता हूं?
फंगस से प्रभावित सूखे मकई के रेशों के औषधीय गुण नहीं बदलते। इसे ताजा या सूखे मकई के रेशों की तरह ही उपयोग किया जा सकता है, और परिणाम वही होंगे। मकई के रेशों को कुछ घंटों के लिए धूप में रखें। फिर तैयारी प्रक्रिया के अनुसार आगे बढ़ें। यदि मकई के रेशों को बिना सुखाए या गीली स्थिति में संग्रहीत किया गया हो और वे काले पड़ गए हों, तो उनका उपयोग नहीं करना चाहिए। मकई के रेशों को समय-समय पर धूप में रखना चाहिए ताकि वे बाद में उपयोग के लिए अच्छे रहें।

10.  मुझे तरबूज के बीज नहीं मिल रहे। क्या मैं इन्हें खरबूज के बीजों से बदल सकता हूं?
इनके गुण पूरी तरह से अलग हैं। केवल तरबूज के बीज, जिनके छिलके बरकरार हों, में किडनी सफाई के गुण होते हैं, न कि खरबूज के बीजों में।
11.  किडनी सफाई के लिए मुझे कौन सा आहार अपनाना चाहिए?
सफाई के दौरान अपने नियमित आहार का पालन करें और जितना संभव हो किडनी सफाई का काढ़ा पिएं। हालांकि, सफाई प्रक्रिया के दौरान पचाने में कठिन और भारी भोजन से बचें।

12.  किडनी सफाई का ( काढ़ा पीने का) सबसे अच्छा समय कौनसा है?
किडनी तब अधिक कुशलता से काम करती हैं जब पेट खाली हो और शरीर सबसे अधिक आराम की स्थिति में हो, विशेष रूप से आधी रात के बाद लेटने की स्थिति में। मैं रात को अपने बिस्तर के पास एक लीटर मकई के रेशों की चाय रखता हूं। अगर मैं रात 2-4 बजे के बीच या सुबह सबसे पहले उठता हूं, तो मैं इसे पी लेता हूं। यह खुराक मेरे नियमित दिन के खुराक के अतिरिक्त है।

13.  किडनी सफाई करने के बाद मुझे जबरदस्त लाभ हुआ, लेकिन एक हफ्ते बाद मुझे फिर से वही पुरानी समस्याएं हो रही हैं।
कभी-कभी पुरानी समस्याएं फिर से प्रकट हो सकती हैं, लेकिन यदि आप उनकी आवृत्ति और तीव्रता पर नजर रखें, तो सफाई के बाद ये बहुत कम स्तर पर होती हैं। दूसरा, आप उसी प्रदूषित पर्यावरण में रह रहे हैं और वही भोजन खा रहे हैं, इसलिए यह प्रकट होना स्वाभाविक है। फिर से सफाई करें और आपका स्वास्थ्य सुधरेगा। आपको पीठ दर्द, सिरदर्द, सामान्य ताजगी स्तर और नींद की गुणवत्ता में तत्काल सुधार दिखेगा। इसके अतिरिक्त, जमा होने से रोकने के लिए अपने आहार और जीवनशैली में आवश्यक बदलाव करें। जिन खानों के कारण पथरियाँ बनती है उनका परहेज करें।

14.  आपके उपचार का पालन करने के बाद, मासिक धर्म के दौरान मुझे अधिक रक्तस्राव क्यों हो रहा है?
यह कुछ महिलाओं के साथ हो सकता है और यह एक अच्छा संकेत है। आपको अपने प्री-मासिक धर्म लक्षणों में सुधार महसूस हुआ होगा और पेट दर्द में काफी कमी आई होगी। जैसे ही आपके शरीर में जमा विषाक्त पदार्थ निकल जाएंगे, आपकी स्थिति में सुधार होगा और आप एक-दो दिन में बेहतर महसूस करेंगी।

15.  किडनी सफाई के लिए कितनी मकई के रेशों की चाय का उपयोग किया जा सकता है?
आप जितनी चाहें मकई के रेशों की चाय पी सकते हैं। कुछ लोग एक गिलास से परिणाम पाते हैं, जबकि अन्य को छह गिलास चाय से बेहतर परिणाम मिलते हैं। अतिरिक्त खुराक नुकसान नहीं पहुंचाती।
किडनी सफाई में चाय की मात्रा प्रासंगिक नहीं है। जो वास्तव में मायने रखता है, वह है मकई के रेशों को उबालने के बाद चाय में दवा की सांद्रता। इसलिए मैं मकई के रेशों को तीन बार उबालने की सिफारिश करता हूं। मैं यह सुनिश्चित करता हूं कि किडनी सफाई के बाद सभी को अच्छे परिणाम मिलें। हालांकि, यदि आपको लगता है कि सफाई ने वांछित परिणाम नहीं दिए, तो किडनी सफाई की प्रभावशीलता पर संदेह न करें, बल्कि सामग्री की गुणवत्ता और मात्रा के साथ-साथ अपनाई गई प्रक्रिया की जांच करें।

16.  किडनी सफाई के लिए काढ़े के पानी को कितनी देर उबालना चाहिए?
उबाल तब शुरू होता है जब पानी का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचता है। उस तापमान पर, मकई के रेशों से सबसे अच्छी दवा निकलती है। इसे हर बार 5-10 मिनट तक उबालना ठीक है।

17.  किडनी सफाई के दौरान मुझे क्या खाना चाहिए?
किडनी की सफाई के दौरान हल्के भोजन का सेवन करना चाहिए। घर में बना हुआ सदा शाकाहारी भोजन और फल इत्यादि ले सकते हैं। सफाई के दौरान मांसाहारी भोजन, डेयरी उत्पाद, प्रसंस्कृत, पैकेज्ड और तले हुए खाद्य पदार्थों से बचें। किडनी का काढ़ा खाली पेट लेने पर सबसे प्रभावी होता है।

18.  क्या किडनी सफाई खाली पेट शुरू करनी चाहिए?
खाली पेट कुछ खुराक निश्चित रूप से सफाई की गुणवत्ता को बेहतर बनाएंगी। यदि काढ़ा खाली पेट ली जाए, तो इसका रक्त प्रवाह में अवशोषण बहुत बेहतर होगा।

19.  खाली पेट किसे कहते हैं ?
खाली पेट वह अवस्था है जब सिस्टम ने लगभग सभी खाए गए भोजन को पचा लिया हो। सुबह में, पेट खाली होता है क्योंकि रात के दौरान सब कुछ पच जाता है। यदि नाश्ते में केवल फल खाए जाएं, तो यह 45 मिनट में पूरी तरह से पच जाता है। इसलिए, 45 मिनट बाद आपका पेट खाली हो जाता है। दूसरी ओर, यदि आप साधारण शाकाहारी भोजन खाते हैं, तो दो घंटे का अंतर ठीक है। तला हुआ मटन या डीप फ्राइड पनीर को पचने में लगभग 6-8 घंटे या अधिक समय लगता है, जिसके बाद आपका पेट खाली होता है।

20. क्या मैं सोने से ठीक पहले काढ़ा सकता हूं?
हां, इसमें कोई नुकसान नहीं है। हालांकि, ध्यान रखें कि आपको रात में एक या दो बार मूत्रत्याग के लिए उठना पड़ सकता है।


21. क्या हम चाय का स्वाद बेहतर बनाने के लिए इसमें थोड़ा नमक मिला सकते हैं?
चाय में कुछ भी मिलाने से बचें।

22.  क्या चाय बनाने के बाद बचे हुए पार्सले को खाया जा सकता है?
आप बचे हुए अवशेषों को पीसकर चपातियों में भर सकते हैं। हालांकि, इसमें कोई पोषण मूल्य नहीं रहता क्योंकि सभी पोषक तत्व पहले ही चाय में निकल चुके होते हैं।

23.  क्या फ्रिज में रखी मकई के रेशों की चाय को फिर से गर्म किया जा सकता है?
हां, इसे गर्म किया जा सकता है। तापमान इसके औषधीय गुणों को प्रभावित नहीं करता। हालांकि, इसे दो दिनों से अधिक फ्रिज में नहीं रखना चाहिए।

24.  क्या गर्भवती महिलाएं किडनी सफाई कर सकती हैं?
हां, वे नियमित खुराक के आधे से शुरू कर सकती हैं। स्तनपान कराने वाली माताएं नियमित खुराक के साथ इसे कर सकती हैं।

25.  किडनी पथरी के गठन को रोकने का कोई तरीका है?
हां। अपने आहार और जीवनशैली को बदलें और अधिक क्षारीय खाद्य पदार्थों का सेवन करें। अधिक फल खाएं। ढेर सारा पानी पिएं।

26.  मुझे कैल्शियम की कमी है। क्या किडनी सफाई के दौरान कैल्शियम सप्लीमेंट्स का उपयोग मुझे मदद कर सकता है?
एक प्राकृतिक चिकित्सक के रूप में, मेरा मानना है कि कैल्शियम की कमी के लिए रोगी को सप्लीमेंट्स नहीं देना चाहिए क्योंकि ये सप्लीमेंट्स कमी वाले शरीर द्वारा अवशोषित नहीं होते। इसके बजाय, कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ खाकर शरीर में कैल्शियम के अवशोषण को बेहतर करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए। कैल्शियम सप्लीमेंट्स का सेवन किडनी पथरी के गठन को भी बढ़ा सकता है।

 

27. क्या बीज वाली चीजें, टमाटर या पालक इत्यादि खाने से पथरी बनती है?

नहीं । यह धारणा बिल्कुल ग़लत है और यह तथ्यों पर आधारित नहीं है।इन वस्तुओं का सेवन ना करने पर  भी लोगों के पथरी बनती रहती है

महत्वपूर्ण:
सफाई के दौरान किडनी को समर्थन देने के लिए अतिरिक्त पानी पिएं, कम से कम छह और अधिकतम आठ गिलास प्रतिदिन, जब तक कि मूत्र का रंग गहरा पीला न हो (ऐसे में आपको इससे अधिक पानी पीना होगा)।
सफाई के दौरान, पशु उत्पादों, जैसे मांस, डेयरी खाद्य पदार्थ (मक्खन को छोड़कर), मछली, अंडे, चाय, कॉफी, शराब, कार्बोनेटेड पेय, चॉकलेट, और संरक्षक, कृत्रिम स्वीटनर, रंग एजेंट आदि युक्त किसी भी अन्य खाद्य पदार्थ या पेय से बचने की कोशिश करें।
जिन लोगों को बड़ी किडनी पथरियां हैं, वे लगभग पंद्रह दिनों तक प्रतिदिन एक से दो नींबू का रस (पानी के साथ पतला करके) पीने से लाभ उठा सकते हैं।
जब तक आप पथरियों से मुक्त न हो जाएं, तब तक इस प्रक्रिया को हर महीने दोहराएं। यदि आपको निचले पीठ क्षेत्र में असुविधा या जकड़न महसूस होती है, तो इसका कारण मूत्र प्रणाली के मूत्रवाहिनी नलिकाओं से गुजरने वाले खनिज क्रिस्टल हो सकते हैं। सफाई की शुरुआत में या इसके दौरान मूत्र का तेज गंध और गहरा रंग किडनी से विषाक्त पदार्थों की बड़ी मात्रा में रिहाई को दर्शाता है। सामान्य रूप से, हालांकि, रिहाई धीरे-धीरे होती है और मूत्र के रंग या बनावट में विशेष रूप से बदलाव नहीं आता।

सावधानियां:
शुरू करने से पहले, विशेष रूप से यदि आपको किडनी रोग या पाचन संबंधी समस्याएं हैं, तो स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श करें।
अस्वीकरण:
यह जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य के लिए है। किसी भी चिकित्सा उपाय से पहले स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श ज़रूर लें।
संदर्भ:
Cure Yourself - by Dr. Piyush Saxena

 

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